शहरों में फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी नियम बनाए जाएं
सेहतराग टीम
वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के साथ देश की आबादी तेजी से डायबीटीज और कई दूसरी बीमारियों का शिकार हो रही है। इस बढ़ते खतरे के मद्देनजर एक नए अध्ययन में शहरों में ऐसा वातावरण बनाने की सिफारिश की गई है जो शारीरिक गतिविधि यानी फिजिकल ऐक्टिविटी को बढ़ावा दे। अध्ययन के मुताबिक निर्मित माहौल आबादी की शारीरिक गतिविधि के स्तर पर जबर्दस्त प्रभाव डालता है, कई बीमारियों को विकलांगता बनने से रोकता है और जीवनपर्यंत सेहत को ठीक रखने में मददगार होता है।
कई तरह की जरूरतों पर दिया गया जोर-
अध्ययन में कहा गया कि यह वायु प्रदूषण के स्तर, सतह एवं आस-पास के तापमान, कार्बन एवं अन्य जहरीले उत्सर्जनों तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए गैर नवीकरणीय ऊर्जा की खपत को भी अत्यंत प्रभावित करता है। ये सभी जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण हैं। ‘बिल्ट इन्वायरन्मेंट फॉर फिजिकल एक्टिविटी - एन अर्बन बैरोमीटर, सर्विलांस एंड मॉनीटरिंग’ शीर्षक वाले इस शोध में पैदल चलने वालों की प्राथमिकता एवं उनकी गरिमा पर केंद्रित शहरी एवं नागरिक सुविधाओं, पेड़ों की छांव में बने चौड़े रास्ते, पानी के फव्वारे, बुजुर्गों के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बेंच, 0.5 किलोमीटर के दायरे में हरे-भरे हरित क्षेत्रों या शहरी जंगलों तक पहुंच और स्कूलों में बड़े पेड़ों की छांव में बने खेल के मैदान आदि की जरूरत पर भी जोर दिया गया है।
ओबेसिटी न्यूज में प्रकाशित हुई यह स्टडी-
इसके अलावा इसमें कार्यस्थलों पर कसरत के लिए सुविधाएं मुहैया कराने, भवन निर्माण में सीढि़यों या रैंप को प्राथमिकता देना और सार्वजनिक परिवहन की बेहतर सुविधाओं की जरूरत भी बताई गई। यह अध्ययन पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल के शोधकर्ताओं ने किया है। यह ‘ओबेसिटी रिव्यूज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(साभार- नवभारत टाइम्स)
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